धरमजयगढ़ वन मंडल में भूत का चमत्कार, पौधरोपण करने पहुंचे मृत आत्मा,कलयुग में धरमजयगढ़ वन मंडल की काली कहानी

धरमजयगढ़ वन मंडल में भूत का चमत्कार, पौधरोपण करने पहुंचे मृत आत्मा,कलयुग में धरमजयगढ़ वन मंडल की काली कहानी

रायपुर / छत्तीसगढ़ वन विभाग के धरमजयगढ वनमंड़ल में भूतों का वास मरकर भी वन विभाग को विषम परिस्थिति में अपने साया से ढंका हुआ है, वन विभाग की रौनक बढ़ा दिया है!
दरअसल मामला धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत कुछ आलाधिकारी और कर्मचारी अपने निजी लाभ के लिए मृतक व्यक्ति के नाम पर भी मजदूरी राशि जारी कर दिया ।धरमजयगढ़ वन मंडल में लगातार नये नये कारनामें का मोड़ आते जा रहा है, अधिकारी कर्मचारी के कार्यशैली पर लगातार प्रश्नचिन्हा खड़ा हो रहा है।

अधिकारी कर्मचारी के लापरवाही का परिणाम है जो लगातार भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है और सरकारी खजाने को लूटने का सुनियोजित तिरके से रणनीति बनाते है!आमजन पर निगरानी रखने के नाम पर चलने वाली व्यवस्थाएँ ही जब फर्जीवाड़े का आधार बनाने लगे , तो शासन-प्रशासन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।

धरमजयगढ़ वनमंड़ल के वनपरिक्षेत्र धरमजयगढ़ के भण्डारीमुडा नर्सरी का है, जहां वर्ष 2021 के अंतर्गत मनरेगा योजना से कराए गए पौधारोपण कार्य पर अब गंभीर संदेह के साए मंडराने लगे हैं। वहीं एक लिखित आवेदन में उजागर हुआ है कि मस्टररोल में दर्ज मजदूर जिसकी मृत्यु 22 दिसंबर 2017 को हो चुकी थी। जिसको वर्ष 2022 में काम करता हुआ दिखाया गया है।

मस्टररोल क्रमांक 750 (अवधि 3 मई 2022 से 08 मई 2022) में उसका नरेगा कार्ड नंबर भी दर्ज है, मानो मृत्यु के बाद भी वह मजदूरी की भूतनी साया वन विभाग में काम करने आता रहा। मनरेगा जैसे कार्यों में भयावाह रूप से धांधली फर्जीवाड़ा किया है तो,न जाने विभागिय कार्यों एवं कैम्पा के कार्यों में क्या क्या नही किया होगा।

वनमण्डलाधिकारी करना भी संदेह जनक लगता है क्योंकि उनके अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी येसा काम कर रहे है कहीं न कहीं बिना उनके हस्ताक्षर के यह कार्य संभव नही है!

क्या वर्तमान वन मंडलाधिकारी गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच कर इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुँच कर दोषियों पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत कठोर कार्रवाई करें!

धरमजयगढ़ वन मंडल में इस प्रकार के कार्यों को बढ़ावा देने, संरक्षण देने, और कमिशन के खेल में बाबू लोग अछुता नही है। अगर हम उनकी पोल खोलना चालु कर दें तो बड़े बड़े वारदात सामने आयेगा।
उत्पादन ईकाई में कार्यरत कम्प्युटर आपरेटर निविदा फार्म भरते समय रंगे हांथों पकड़ा गया था लेकिन विभाग कार्यवाही करने के बजाय मामले को कफन दफन कर दबा दिया। अगर उस मामले को पुन: उठाया जाये और जांच किया जाये तो दुध का दुध पानी का पानी हो जायेगा येसे प्रकरणों को दबाने में महारत हासिल करने वाले अधिकारी जो वर्तमान में सेवा निवृत्त होकर लंबे समय से संविदा पद पर उप प्रबंध संचालक के कुर्सी में काबिज कर बैठे हैं, जिन्होने सातिराना दिमांग से फाईल को दबवाने का काम किया है।

धरमजयगढ़ वन मंडल में तो एक ही नर्सरी का खुलासा हुआ है, अभी लैलूंगा के सुसूरूत वन नर्सरी का मामला बंचा है खुलासा होते ही रूह कांपने लगेगा, परत दर परत सबकी पोल खुलेगा।

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